मिरी कहानी तिरी कहानी से मुख़्तलिफ़ है कि जैसे आँखों का पानी, पानी से मुख़्तलिफ़ है वो एक लम्हा जो दस्तरस में नहीं रहा है वो ज़िंदगी भर की राइगानी से मुख़्तलिफ़ है ये झील आँखें हमें जो पैग़ाम दे रही हैं वो तेरे होंटों की तर्जुमानी से मुख़्तलिफ़ है तिरी जुदाई का हादसा ऐसा हादसा है जो हर हक़ीक़त से हर कहानी से मुख़्तलिफ़ है मैं दश्त-ए-वहशत की रेत हूँ और तू एक दरिया मिरी रवानी तिरी रवानी से मुख़्तलिफ़ है