मिरी ख़स्तगी को जमाल दे मिरी बंदगी को कमाल दे मिरे दिल को नूर में ढाल कर मिरे फ़िक्र-ओ-फ़न को उजाल दे तू उरूज दे मिरे सब्र को मिरी ख़्वाहिशों को ज़वाल दे जो निखार दे मिरी रूह को मिरे दिल को ऐसा मलाल दे कोई चाँद बख़्श के रात को मिरी हर स्याही को टाल दे मिरी चश्म-ए-गिर्या को हुस्न बख़्श दिल रेज़ा रेज़ा सँभाल दे मुझे दाइमी हो 'शफ़क़' अता ये मरज़ बदन से निकाल दे