मिरी मियान में मेरा बयान रहता है मिरे जिगर में तो हिन्दोस्तान रहता है इस एक बात पे मैं फ़ख़्र करता आया हूँ मिरी ज़मीं पे कोई आसमान रहता है डटी नज़र झुकी गर्दन मिज़ाज बुत की तरह ये किस जहान में सारा जहान रहता है कियारियाँ नहीं पर फूल ख़ूब हैं 'वत्सल' कि जंगलों में भी इक गुल्सिताँ रहता है