मिरी रात मेरा चराग़ मेरी किताब दे मिरा सहरा बाँध ले पाँव से मुझे आब दे मिरे नुक्ता-दाँ तिरा फ़हम अपनी मिसाल है मैं हूँ एक सादा सवाल कोई जवाब दे मिरी चश्म-ए-नम किसी रतजगे में उलझ गई मिरी नींद ओढ़ ले रात भर मुझे ख़्वाब दे मिरे गोश्वारे में कौन भरता गया लहू ऐ मिरी तलब मुझे हर घड़ी का हिसाब दे मिरे बहर ओ बर को समेट ले मिरे कूज़ा-गर मुझे अन-कही मुझे आगही का अज़ाब दे