मिरी यादें भला तुम किस तरह दिल से मिटाओगे भुला कर तो ज़रा देखो मुझे कैसे भुलाओगे मोहब्बत करने वाले दर्द में तन्हा नहीं होते जो रूठोगे कभी मुझ से तो अपना दिल दुखाओगे करोगे याद तुम गुज़रे ज़मानों की सभी बातें कभी इतरा के हँस दोगे कभी आँसू बहाओगे गुज़र जाते हैं जो लम्हे कभी वापस नहीं आते तो बीते पल मोहब्बत के कहाँ से ले के आओगे जुदा अपनों से हो कर टूट जाता है कोई कैसे जो बिछड़ोगे कभी मुझ से तो ख़ुद ही जान जाओगे बढ़ा लोगे अगर तुम फ़ासले मुझ से कभी 'आज़िम' तो रूदाद-ए-दिल-ए-नाशाद फिर किस को सुनाओगे