मिसाली दुनिया में जी रहा हूँ ख़याली दुनिया में जी रहा हूँ तमाम चेहरों पे तीरगी है मैं काली दुनिया में जी रहा हूँ ज़बान शो'ले उगल रही है जलाली दुनिया में जी रहा हूँ तमाम मंज़र बदल चुके हैं मैं ख़ाली दुनिया में जी रहा हूँ मैं अपने ख़्वाबों के गुल सजाए निराली दुनिया में जी रहा हूँ हर एक कासा-ब-दस्त मंज़र सवाली दुनिया में जी रहा हूँ