मोहब्बत हुई तो गुमाँ हो रहा है मिरी ज़िंदगी में तुम्हारी कमी थी निगाहों से क़िस्सा बयाँ हो रहा है मिरी ज़िंदगी में तुम्हारी कमी थी पिया जो दिखा दो वही मेरी दुनिया सनम जो कहो तुम वो हँस के करूँगी यही क़ौल दिल की ज़बाँ हो रहा है मिरी ज़िंदगी में तुम्हारी कमी थी ख़ुद ही हँस रहा हूँ ख़ुद ही रो रहा हूँ यक़ीं हो चला है तुम्हारा हुआ हूँ हुआ जो नहीं था यहाँ हो रहा है मिरी ज़िंदगी में तुम्हारी कमी थी ख़यालों में मेरे तुम्ही बस गए हो मिरी रूह तक में तुम्ही रच गए हो मिरा दिल तुम्हारा मकाँ हो रहा है मिरी ज़िंदगी में तुम्हारी कमी थी मिरी राह में शाम की तल्ख़ियाँ थीं ये पुर-कैफ़ रातें कहाँ पर निहाँ थीं अंधेरा अजब कहकशाँ हो रहा है मिरी ज़िंदगी में तुम्हारी कमी थी मैं 'ए'जाज़' अनमोल अशआ'र कह कर ग़ज़ल लिख रहा हूँ तुम्हें यार कह कर मिरा हर सुख़न शादमाँ हो रहा है मिरी ज़िंदगी में तुम्हारी कमी थी