मोहब्बत का नन्हा सा घर तौबा तौबा सितम-हा-ए-बर्क़-ए-नज़र तौबा तौबा ये दिल जाल में ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ के फँस कर भटकता रहा उम्र भर तौबा तौबा लटें काली काली जबीं उजली उजली ब-यक-वक़्त शाम-ओ-सहर तौबा तौबा अगर देख लें टुक वो तिरछी नज़र से दो-आलम हों ज़ेर-ओ-ज़बर तौबा तौबा कोई देखे इन मुश्त भर हड्डियों को कोई देखे क़हर-ए-नज़र तौबा तौबा ये दुनिया है और है यही आक़िबत भी शब-ए-'सोज़' रंगीं सहर तौबा तौबा