मोहब्बत कर चुकी है काम अपना मुझे मालूम है अंजाम अपना नहीं इस मय-कदे में काम अपना जहाँ मय हो पराई जाम अपना मोहब्बत तो मोहब्बत ही रहेगी ज़रूरत कुछ भी रख ले नाम अपना मुक़द्दर भी बदलना जानते हैं गुज़ारिश ही नहीं है काम अपना जो ख़ुद अपनी नज़र से गिर चुके हैं उन्हें भी गर्दिश-ए-अय्याम अपना तुम और ये ज़हमत-ए-तज्दीद-ए-आलम मुझी को सौंप देते काम अपना परेशानी मुक़द्दर बन चुकी है परेशानी में ढूँड आराम अपना ख़ुदाई रुख़ बदलना चाहती है मिरे माथे पे लिख दो नाम अपना ज़माना दे न दे पैग़ाम 'अंजुम' ज़रूरत ख़ुद करेगी काम अपना