मोहब्बत की इक रात याद आ रही है वो पहली मुलाक़ात याद आ रही है जो कहता हूँ मैं इस को शिकवा न समझो सुनो बात पर बात याद आ रही है वो दिलकश तबस्सुम से लब्बैक कहना वो ख़ातिर मुदारात याद आ रही है भुलाने की कोशिश मैं करता हूँ जिन को मुझे उन की दिन रात याद आ रही है