मोहब्बत की मता-ए-जावेदानी ले के आया हूँ तिरे क़दमों में अपनी ज़िंदगानी ले के आया हूँ कहाँ सीम-ओ-गुहर जिन को लुटाऊँ तेरे क़दमों पर बरा-ए-नज़्र अश्कों की रवानी ले के आया हूँ तुझे जो पूछना हो पूछ ले ऐ दावर-ए-महशर मैं अपने साथ अपनी बे-ज़बानी ले के आया हूँ ज़मीन-ओ-मुल्क के बदले दिलों पर है नज़र मेरी अछूता इक तरीक़-ए-हुक्मरानी ले के आया हूँ मिरे ज़ख़्म-ए-तमन्ना देख कर पहचान लो मुझ को तुम्हारी ही अता-कर्दा निशानी ले के आया हूँ मिरे अशआ'र में मुज़्मर हैं लाखों धड़कनें दिल की मैं इक दुनिया का ग़म दिल की ज़बानी ले के आया हूँ मोहब्बत नाम है बेताबी-ए-दिल के तसलसुल का मोहब्बत की मैं 'दर्शन' ये निशानी ले के आया हूँ