लिबास-ए-फ़क़्र में हम को जो ख़ाकसार मिले उन्हीं के दर पे सलातीन-ए-रोज़गार मिले वो राज़ जिस से सुलगता रहा है दिल कह दें हमारे दिल सा अगर कोई राज़दार मिले शराब ख़ाना-ए-चिश्ती में भी नज़र आए हमें जो उलफ़्त-ए-नानक के बादा-ख़्वार मिले ग़म-ए-जहाँ-निगरी का सफ़र-ए-क़यामत था हर एक ज़र्रे के सीने में कोहसार मिले कोई भी दूरी-ए-मंज़िल नहीं अगर 'दर्शन' जहाँ को मेरा जुनून-ए-ख़िरद-शिकार मिले