मोहब्बत में इल्ज़ाम क्या देखता है ये आग़ाज़-ओ-अंजाम क्या देखता है यहाँ रहगुज़र के सिवा कुछ नहीं है ये मुड़ मुड़ के हर-गाम क्या देखता है अभी तो बहुत दूर चलना है तुझ को घड़ी भर का आराम क्या देखता है शिकम की असीरी से आज़ाद हो जा ये दाना तह-ए-दाम क्या देखता है अदब साक़िया का कहाँ तक करेगा उठा ले कोई जाम क्या देखता है जहाँ में बड़ी चीज़ है दिल की मस्ती छलकता हुआ जाम क्या देखता है तसव्वुर में 'ताबाँ' ये खोया हुआ सा उफ़ुक़ पर सर-ए-शाम क्या देखता है