मंज़िलें नहीं चलतीं फ़ासला नहीं चलता राहगीर चलते हैं रास्ता नहीं चलता ताक़तों के घेरे हैं हिम्मतों की इक हद है कोई वक़्त के आगे हौसला नहीं चलता इक उदास होते हैं सब उदास होते हैं और इस उदासी का कुछ पता नहीं चलता जो भी है पहुँचता है डूब कर किनारों तक इश्क़ के समुंदर में तैरना नहीं चलता ख़ुद-बख़ुद गुलिस्ताँ में हर कली सँवरती है इस निगार-ख़ाने में आइना नहीं चलता सिर्फ़ राहबर 'ताबाँ' रास्ता दिखाता है शौक़ ले के चलता है रहनुमा नहीं चलता