मोहब्बत में जफ़ा क्या है वफ़ा क्या वो ये पूछें तो शिकवों का मज़ा क्या क़यामत से डराती क्यूँ है दुनिया क़यामत से है कम उन की अदा क्या जहाँ तौहीन-ए-अर्ज़-ओ-इल्तिजा हो वहाँ पर अर्ज़ कैसी इल्तिजा क्या बग़ावत और फिर इन की रज़ा से मोहब्बत में दुआ क्या मुद्दआ' क्या किसी दश्त-ओ-बयाबाँ की इक आवाज़ हमारे साज़-ए-हस्ती की सदा क्या मिरी नज़रों से पूछो हुस्न अपना बता सकता है तुम से आइना क्या ब-जुज़ अश्कों की बूँदें और आहें 'जलील' आख़िर मोहब्बत से मिला क्या