मोहब्बत में तेरी वफ़ा चाहता हूँ वफ़ा तुझ से ओ दिलरुबा चाहता हूँ नहीं ताक़त-ए-ज़ब्त यारब मुझे अब मैं अहवाल दिल का कहा चाहता हूँ फ़ना हो के राह-ए-मोहब्बत में ऐ जाँ ब-फ़ैज़-ए-तमन्ना बक़ा चाहता हूँ ज़रा देख लो आ के पहली नज़र से कि मैं दर्द-ए-दिल कुछ सिवा चाहता हूँ बहुत ग़म-ज़दा हूँ बहुत ग़म-ज़दा हूँ मैं अब एक दर्द-आश्ना चाहता हूँ मिरा हाल 'असलम' कोई उन से पूछे कि मैं इश्क़ में उन से क्या चाहता हूँ