मोहब्बत फिर मोहब्बत फिर मोहब्बत फिर मोहब्बत है जहाँ ये सिलसिला टूटा समझ लेना क़यामत है अमा सीखो ज़रा हम से मोहब्बत कैसे करते हैं उसे जिस से मोहब्बत है हमें उस से मोहब्बत है ये तितली फूल ख़ुशबू क्या कोई सानी नहीं उस का तुम्हें कैसे बताऊँ मैं वो कितनी ख़ूबसूरत है यही इक बात अब दोनों की पेशानी पे लिक्खी है मुझे तेरी ज़रूरत है मुझे तेरी ज़रूरत है मोहब्बत ही दिलों का क़िब्ला-ए-अव्वल है आख़िर भी मुसलसल दो दिलों का रू-ब-रू रहना इबादत है मोहब्बत नाम के उस शख़्स को हम से कोई पूछे वफ़ा पोशाक और सादा मिज़ाजी जिस की रंगत है ख़ुदा ने अनगिनत चेहरे बनाए होंगे दुनिया में मिरी आँखों में 'काशिफ़' आज तक बस एक सूरत है