मोहब्बत से वक़ार-ए-ज़िंदगी है यही तो ए'तिबार-ए-ज़िंदगी है वही होता है जो वो चाहते हैं उन्ही पर इंहिसार-ए-ज़िंदगी है मोहब्बत से कोई जब मुस्कुरा दे तो हर लम्हा बहार-ए-ज़िंदगी है किसी की याद-ए-तन्हाई का आलम जुदा सब से शिआ'र-ए-ज़िंदगी है हँसी के साथ भीग उठती हैं पलकें ग़म-ए-बे-इख़्तियार-ए-ज़िंदगी है तुम्हारे क़ुर्ब की मेराज पा कर ये दिल मस्त-ए-ख़ुमार-ए-ज़िंदगी है किसी से क्या कहें क्या है मोहब्बत यही तो राज़-दार-ए-ज़िंदगी है कभी राहत कभी ग़म हिर्ज़-ए-जाँ है 'वफ़ा' ये कार-ज़ार-ज़िंदगी है