मिरे हज़ार ग़मों का हिसाब कौन लिखे मैं इक कहानी हूँ मुझ पर किताब कौन लिखे गुनाह लिखते रहे मेरी आह को लेकिन जो अश्क दिल में हैं उन को सवाब कौन लिखे तुम्हारी याद नहीं इक अज़ाब है गोया मगर तुम्हारे करम को अज़ाब कौन लिखे हम अपने ज़ख़्म-ए-जिगर को छुपाए बैठे हैं तुम्हारे चेहरे को ताज़ा गुलाब कौन लिखे मिरा क़लम तो मिरा साथ छोड़ बैठा है किताब-ए-दिल का मिरी इंतिसाब कौन लिखे सभी को प्यारी है जाँ अपनी एक मेरे सिवा सितम सितम को तुम्हारे जनाब कौन लिखे मैं अपने ख़त भी ख़ुद उन की तरफ़ से लिखती हूँ वफ़ा को छोड़िए उस का जवाब कौन लिखे