मोहब्बतें जब हिसाब मांगेंगी नफ़रतों का जवाज़ होगा वो जिस सफ़र में सऊबतें हों वो आबगीना-नवाज़ होगा कुछ ऐसी मुश्किल सी आ पड़ी है कि चेहरा आईना बन गया है मुझे ये धड़का है दिल में रक्खा अयाँ वो मुद्दत का राज़ होगा तिलिस्म कहिए कि या तमन्ना रगों में पारा लहू बना है लहू जो टपकेगा अश्क बन कर नज़र से उल्फ़त का साज़ होगा ये मंज़रों में जो आ गए हैं किसी इलाक़े के सब्ज़ ताइर ये हिजरतों का हसीन मौसम फ़रोग़-ए-गुलशन ब-नाज़ होगा अकेले-पन की 'दुआ' ये शिद्दत ही मार डाले कहीं न मुझ को वो आएगा तो ये मेरा होना भी उस के सर्फ़-ए-नियाज़ होगा