मोहब्बतों में मुझे मुश्त भर कमाई तो दे बने कठोर न वो दिल तलक रसाई तो दे मैं तुझ को रूह की गहराई में उतारुंगी ये मेरा कर्ब तिरी आँख में दिखाई तो दे तिलिस्मी जाल में यादों के तुझ को क़ैद करूँ तू मेरे ज़ेहन के दरिया को रू-नुमाई तो दे तू शब ढले मिरे दिल पर उतरती आयत है तिरे नुज़ूल की आहट मुझे सुनाई तो दे मैं इक चिनार के साए में ईस्तादा कली सबा किसी के लिए मुझ को ख़ुश-नुमाई तो दे 'दुआ' है उस की अज़िय्यत-रिसानी मुझ को क़ुबूल वो अपने लम्स की ठंडक से आश्नाई तो दे