मोहब्बतों के चमन की बहार ले के चलें चलें तो क़ाफ़िला-ए-मुश्क-बार ले के चलें पयाम-ए-अम्न ख़ुलूस और प्यार ले के चलें वफ़ा का जज़्बा-ए-बे-इख़्तियार ले के चलें क़दम से पहले करें हौसले का अंदाज़ा बुलंद अज़्म क़वी ए'तिबार ले के चलें ग़मों से मारी हुई कम-नसीब दुनिया को नए से ख़्वाब नए लाला-ज़ार ले के चलें जमाल-ए-शोख़ का गर जाँ-फ़ज़ा इशारा हो तो चश्म-ए-शौक़-ओ-दिल-ए-बे-क़रार ले के चलें शनाख़्त अपनी न खोएँ जहाँ भी जाएँ हम दिल-ओ-दिमाग़ में अपना दयार ले के चलें बढ़ाएँ दौलत-ए-आ'माल-ए-नेक 'नग़मी' कि न हश्र में निगह-ए-शर्मसार ले के चलें