मोहब्बतों में बहुत रस भी है मिठास भी है हमारे जीने की बस इक यही असास भी है कभी तो क़ुर्ब से भी फ़ासले नहीं मिटते गो एक उम्र से वो शख़्स मेरे पास भी है किसी के आने का मौसम किसी के जाने का ये दिल कि ख़ुश भी है लेकिन बहुत उदास भी है बदन के शहर में आबाद इक दरिंदा है अगरचे देखने में कितना ख़ुश-लिबास भी है ये जानते हैं कि सब थक के गिर पड़ेंगे कहीं शिकस्ता लोगों में जीने की कितनी आस भी है वो उस का अपना ही अंदाज़ है बयाँ का 'अमान' हर एक हुक्म पे कहता है इल्तिमास भी है