ज़िंदगी क्या है जो दिल हो तश्ना-ए-ज़ौक़-ए-वफ़ा या'नी ये पर्दा तो उठ सकता है आसानी के साथ गुफ़्तुगू-ए-सूरत-ओ-मानी है उनवान-ए-हयात खेलते हैं वो मिरी फ़ितरत की हैरानी के साथ तुम ने हर ज़र्रे में बरपा कर दिया तूफ़ान-ए-शौक़ इक तबस्सुम इस क़दर जल्वों की तुग़्यानी के साथ दिल की आबादी है 'अख़्तर' दिल की बर्बादी का नाम इक तअ'ल्लुक़ है मिरी हस्ती को वीरानी के साथ