कोई वास्ता मो'तबर भी नहीं है नहीं यूँ है कि दीवार-ओ-दर भी नहीं नदामत के इन आसमानों के नीचे ख़लाओं से जा-ए-मफ़र भी नहीं है कोई मुझ में आसेब सा बस गया है कुजा चेहरा मेरा तो सर भी नहीं है मिटे रंग-ओ-बू जुस्तुजू सिलसिले सब बयाबाँ में तितली का पर भी नहीं है उदासी के अंधे सफ़र में मिला क्या यहाँ शब नहीं है सहर भी नहीं है