मुद्दतों ये सोच कर तन्हाई में तड़पा किए हो गए हम से जुदा वो और हम देखा किए एक लम्हे में जो कर बैठे हैं दीवाने तिरे लोग सदियों उस की ला-महदूदियत समझा किए कामयाबी अपने हिस्से में कभी थी ही नहीं हम ने नाकामी से अपने रास्ते पैदा किए बेवफ़ाई उस की मेरे साथ मत शामिल करो जुर्म हम ने इश्क़ में जितने किए तन्हा किए हाथ लगते ही बिखर जाता है जिन का शोख़ रंग उम्र भर इन तितलियों की खोज में भागा किए