मुफ़्त कम्बख़्त मिरा सर न फिराए वाइज़ होश की अपने दवा जा के कराए वाइज़ लुत्फ़ में है ख़लल-अंदाज़ सदा-ए-वाइज़ ख़ूब हो सर से जो टल जाए बला-ए-वाइज़ शोर है क़ुलक़ुल-ए-मीना का बपा रिंदों में कान में आए तो क्या आए सदा-ए-वाइज़ गुफ़्तुगू मज़हका ज़ा बरसर-ए-मिम्बर कैसी हँस रहे हैं तुझे सब अपने पराए वाइज़ सामना पीर-ए-मुग़ाँ का जो सर-ए-महफ़िल हो सूरत-ए-शीशा-ए-मय सर को झुकाए वाइज़ पड़ चुका हम पे नसीहत का असर ऐ 'मसऊद' सब्ज़-बाग़ और कहीं जा के दिखाए वाइज़