मुझ दर्द सें यार आश्ना नईं शायद कि किसी का मुब्तला नईं ख़ूबाँ कूँ रवा है क़त्ल-ए-आशिक़ इस शहर में रस्म-ए-ख़ूँ-बहा नईं नहीं बार यज़ीद-ए-बुल-हवस कूँ ज़ालिम की गली है कर्बला नईं तुझ ज़ुल्फ़ में दिल ने गुम किया राह इस पैहम गली कूँ इंतिहा नईं ऐ शम-ए-दिल-ए-'सिराज' मुझ कूँ जलने के बग़ैर मुद्दआ नईं