मुझ को सुकूँ नसीब न दिल को क़रार है बरहम-मिज़ाज गर्दिश-ए-लैल-ओ-नहार है रंगीनियाँ चमन की नज़र में न आएँगी मेरी निगाह-ए-शौक़ में रश्क-ए-बहार है ये कौन सा मक़ाम-ए-मोहब्बत है ऐ जुनूँ अब तो ख़याल-ए-ऐश तसव्वुर पे बार है दामाँ भी तार-तार गरेबाँ भी चाक-चाक जोश-ए-जुनूँ है आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार है 'मुज़्तर' जुनून-ए-इश्क़ की तौक़ीर देखिए हर ख़ार अपने पा-ए-जुनूँ पे निसार है