मुझे दो रंग भरने की इजाज़त मैं बनाता हूँ जहाँ बनती नहीं है कोई सूरत मैं बनाता हूँ तुम्हें तो ठीक से बर्बाद करना भी नहीं आता चलो पीछे हटो अपनी ये हालत मैं बनाता हूँ त'अल्लुक़ में कोई रख़्ना बनाना सख़्त-जानी है तिरे हाथों की नर्माहट सलामत मैं बनाता हूँ तिरे हिस्से में पहले अश्क से आग़ाज़ करना है बक़ाया कार-ए-गिर्या को निहायत मैं बनाता हूँ मिरी हमदम को शिकवा है कि मैं कुछ भी नहीं करता मिरे बच्चे समझते हैं कि क़िस्मत मैं बनाता हूँ घड़ी की सूइयाँ तरतीब में टिक-टिक बनाती हैं मगर ये जागने सोने की आदत मैं बनाता हूँ