मुझे दुनिया से नफ़रत हो रही है मगर तुम से मोहब्बत हो रही है अभी तो अम्न का पैकर है बाक़ी अभी से क्यों बग़ावत हो रही है बुज़ुर्गों की दुआ का फ़ैज़ है ये मुझे हासिल जो शोहरत हो रही है बुढ़ापा बढ़ रहा है जैसे जैसे सहारे की ज़रूरत हो रही है 'मजाज़'-ए-ख़ुश-नवा की शाइ'री में नुमायाँ इक हक़ीक़त हो रही है