मुझे कहानी के किरदार से मोहब्बत थी कि जिस में साए को दीवार से मोहब्बत थी वो इस लिए भी नहीं छोड़ता था साथ मिरा उसे भी अपने अज़ादार से मोहब्बत थी कुछ इस लिए भी मैं सहरा से आ गई जंगल मिरी सरिश्त में अश्जार से मोहब्बत थी अज़ीज़-तर मुझे चादर थी जिस तरह अपनी उसे भी वैसे ही दस्तार से मोहब्बत थी गवाही देंगे सभी उस की पारसाई की वो आम था मुझे किरदार से मोहब्बत थी मैं हिजरतों की 'समीना' हूँ इस लिए क़ाइल मिरे रफ़ीक़ को उस पार से मोहब्बत थी