मुझे पहले तुम इक नज़र देख लेना जिधर चाहे जी फिर उधर देख लेना मिरे जज़्ब-ए-दिल का असर देख लेना वो ख़ुद आएँगे मेरे घर देख लेना शब-ए-वस्ल तुम छोड़ कर मुझ को जाओ मज़ा इस का वक़्त-ए-सहर देख लेना किसी रोज़ ये तीर-ए-मिज़्गाँ तुम्हारा करेगा मिरे दिल में घर देख लेना तुम्हें फ़ित्ना-ए-हश्र कहती है दुनिया कोई तुम से उट्ठेगा शर देख लेना मुझे रोज़ दर पर जो देखा तो बोले ग़ज़ब है तुम्हारा अभी घर देख लेना तुम्हें क़द्र 'महमूद' की कुछ न आई मिलेगा न ऐसा बशर देख लेना