नेक-ओ-बद इश्क़ में जो है मिरी तक़दीर में है आप वो कीजिए जो आप की तदबीर में है वस्ल कहते हैं इसे रब्त इसे कहते हैं देख लो तीर जिगर में है जिगर तीर में है शोर-ए-महशर की तो इक धूम मचा रक्खी है शोर ये है जो मिरे बालों की ज़ंजीर में है खुल गया आज मुझे वादा-फ़रामोशी से कि तिरा वस्ल किसी और की तक़दीर में है वो मिरा हाल जो पूछें तो ये कहना क़ासिद अभी जीता है मगर मरने की तदबीर में है कोई कुछ जुर्म करे नाम वो मेरा लेंगे इक ज़माने की बुराई मिरी तक़दीर में है वस्फ़ कुछ उस का बयाँ हो नहीं सकता 'महमूद' लुत्फ़ जो दाग़ की तक़रीर में तहरीर में है