मुखड़ा वो बुत जिधर करेगा बंदा सज्दा उधर करेगा करना हो जिसे कि ख़ाना वीराँ दिल में तिरे वो घर करेगा वो लुत्फ़ उठाएगा सफ़र का आप-अपने में जो सफ़र करेगा वाइज़ ये सुख़न तिरा कभी आह हम में भी कुछ असर करेगा ऐ शैख़ तुझे बुतों से इंकार वल्लाह बहुत ज़रर करेगा हो जिस को तमाम शब सर-ए-शाम क्या वस्ल में वो सहर करेगा 'ग़मगीं' जो बैठे उस के दर पर वो उस को न दर-ब-दर करेगा