मुमकिन जहाँ नहीं थी वहाँ काट दी गई कुछ दिन की ज़िंदगी थी मियाँ काट दी गई मुफ़्लिस जो थे वो प्यास की शिद्दत से मर गए महलों की सम्त जू-ए-रवाँ काट दी गई मैं ने बुलंद की थी सदा एहतिजाज की फिर यूँ हुआ कि मेरी ज़बाँ काट दी गई तेरी ज़मीं पे साँस भी लेना मुहाल था मजबूर हो के ज़ीस्त यहाँ काट दी गई मेरी सज़ा-ए-मौत पे इक जश्न था बपा वो शोर था कि मेरी फ़ुग़ाँ काट दी गई दस्त-ए-हुनर पे नोक-ए-सिनाँ पर ग़ुरूर है लेकिन जरी जो नोक-ए-सिनाँ काट दी गई पहले तो बात बात पे टोका गया मुझे फिर तंग आ के मेरी इनाँ काट दी गई 'नासिर' है राह-ए-शौक़ में 'मोमिन' का मो'तक़िद उम्र-ए-रवाँ दर इश्क़-ए-बुताँ काट दी गई