मुमकिन नहीं दवा है इस आज़ार के लिए बेहतर है मौत आशिक़-ए-बीमार के लिए मर कर हुआ हूँ ख़ाक दर-ए-यार के लिए साया बना हूँ मैं तिरी दीवार के लिए दाम-ए-बला-ए-हस्ती-ए-मौहूम में फँसा बेहतर यही सज़ा थी गुनाहगार के लिए क्यूँ कर रक़ीब आएँ न महफ़िल में आप की है ख़ार गुल के वास्ते गुल ख़ार के लिए पा-बोसियों के शौक़ में अपना ये लौह-ए-दिल इक ख़ाल बन गया क़दम-ए-यार के लिए जल्वा दिखा दे ख़्वाब में बहर-ए-ख़ुदा मुझे आँखें तरस गईं तिरे दीदार के लिए बच्चों की तरह हम ने इस आग़ोश-ए-नाज़ में पाला था दिल को तुझ से दिल-आज़ार के लिए अब शैख़-ओ-बरहमन मिरे दामन के तार को आते हैं लेने सुब्हा-ओ-ज़ुन्नार के लिए मोनिस जो एक दिल था वो घुल कर फ़िराक़ से आँसू बना है चश्म-ए-गुहर-बार के लिए उस रुख़ को देखते ही दिल-ए-ज़ार ने कहा ज़ेबा है ग़ाज़ा ऐसा ही रुख़्सार के लिए क्या हाल-ए-दिल सुनाऊँ 'जमीला' कि ज़ोफ़ से क़ुव्वत ज़बाँ में चाहिए इज़हार के लिए