नक़्श था और नाम था ही नहीं या'नी मैं इतना आम था ही नहीं ख़्वाब से काम था वहाँ कि जहाँ ख़्वाब का कोई काम था ही नहीं सब ख़बर करने वालों पर अफ़्सोस ये ख़बर का मक़ाम था ही नहीं तह-ब-तह इंतिक़ाम था सर-ए-ख़ाक इंहिदाम इंहिदाम था ही नहीं हम ने तौहीन की क़याम किया इस सफ़र में क़याम था ही नहीं अब तो है पर हमारे वक़्तों में शीशा-ए-सुब्ह-ओ-शाम था ही नहीं वो तो हम ने कहा कि तुम भी हो वर्ना कोई निज़ाम था ही नहीं