मुंकिर होते हैं हुनर वाले नख़्ल झुक जाते हैं समर वाले हम ने घूरा तो हँस के फ़रमाया अच्छे आए बुरी नज़र वाले मेंहदी मल कर वो शोख़ कहता है सेंक लें आँखें चश्म-ए-तर वाले है सलामत जो संग-ए-दर उन का सैकड़ों मुझ से दर्द-ए-सर वाले 'क़द्र' क्या अपने पास दिल के सिवा उड़ें पर वाले फूलें ज़र वाले