मुर्दों की ज़िंदगी के लिए क्या दुआ करें इस पस्त आगही के लिए क्या दुआ करें अज़-ख़ुद हमें नहीं है मयस्सर नज़र सदा ऐसे में हम किसी के लिए क्या दुआ करें बे-रब्त बद-हवास कमर से अलग थलग हम ऐसी चाँदनी के लिए क्या दुआ करें मिलने थे जो भी दर्द मसर्रत सो मिल गए अब वक़्त-ए-आख़िरी के लिए क्या दुआ करें गोया ज़मीन का न फ़लक का हुआ 'अज़ीज़' बोलो कि इस ख़ुदी के लिए क्या दुआ करें