घर है पत्थर का ख़ुदा ख़ैर करे अब मिरे सर का ख़ुदा ख़ैर करे प्यास ने तोड़ दी है सारी हदें अब समुंदर का ख़ुदा ख़ैर करे रोज़ दीवारों के बाहम झगड़े ऐसे में घर का ख़ुदा ख़ैर करे हर ज़बाँ तेग़ हर इक हाथ छुरी आज मंज़र का ख़ुदा ख़ैर करे शीश-महलों की नुमाइश है 'अज़ीज़' संग-ए-मरमर का ख़ुदा ख़ैर करे