मुसाफ़िरत में शब-ए-वग़ा तक पहुँच गए हैं ये लोग अपनी अबद-सरा तक पहुँच गए हैं अब इस से अगला सफ़र हमारा लहू करेगा कि हम मदीने से कर्बला तक पहुँच गए हैं अगर मुबारज़-तलब नहीं थे तो किस लिए हम चराग़ ले कर दर-ए-हवा तक पहुँच गए हैं गुलाबों और गर्दनों से अंदाज़ा हो रहा है कि हम किसी मौसम-ए-जज़ा तक पहुँच गए हैं तिरी मोहब्बत में गुमरही का अजब नशा था कि तुझ तक आते हुए ख़ुदा तक पहुँच गए हैं बता रही है ये ख़ुश्क पत्तों की तेज़ बारिश हम अपने मौसम की इब्तिदा तक पहुँच गए हैं हमें भी शुनवाई का यक़ीं हो चला है 'ताबिश' कि हम भी तहरीक-ए-इलतिवा तक पहुँच गए हैं