मुसलसल धूप से पाला पड़ा है By Ghazal << कुछ शम्अ' से पूछो न श... टूटे हैं जब से ज़ोर जुनूँ... >> मुसलसल धूप से पाला पड़ा है हमारा जिस्म तब काला पड़ा है हमारे जिस्म पे कपड़े नए हैं हमारी रूह पे जाला पड़ा है वो चाबी ले गया है साथ जिस की हमारे दिल पे वो ताला पड़ा है Share on: