मुश्किल उस कूचे से उठना हो गया हश्र भी नक़्श-ए-कफ़-ए-पा हो गया देख वाइज़ मुझ को मैं क्या हो गया आदमी था पी फ़रिश्ता हो गया और ही वादी वो है ऐ अहल-ए-तूर क़ैस जिस में जा के लैला हो गया शाख़ में जब तक ये है अंगूर है शैख़ ने तोड़ा कि मीना हो गया तुम को समझा हूर तीरा गोर में ऐ फ़रिश्तो मुझ को धोका हो गया मुँह जो का'बे में खुला वक़्त-ए-अज़ाँ बंद नाक़ूस-ए-कलीसा हो गया मय-कदा वाइज़ से अब छुटता नहीं बाद-ए-पैमा बादा-पैमा हो गया ऐ बुतो अल्लाह को सौंपा तुम्हें बुत-कदा सुनता हूँ का'बा हो गया बाग़ तक जाते भी हैं आते भी हैं अब क़फ़स तो घर हमारा हो गया आएगा पीने-पिलाने का मज़ा पारसा अब बादा-पैमा हो गया मौत आई आप का मुँह देख कर आप का बीमार अच्छा हो गया डूब जाएँ तारे वो तूफ़ाँ कहाँ अश्क तो आँखों का तारा हो गया रंग बदला क्या ज़माने ने 'रियाज़' देखते ही देखते क्या हो गया