मुसीबत में ज़मीं भी कम नहीं है सो बेचैनी कहीं भी कम नहीं है तुम्हारे दिल में क्या है कुछ तो बोलो तुम्हारा कुछ नहीं'' भी कम नहीं है नहीं झुकता किसी के ख़ौफ़ से दिल ये नन्ही सी जबीं भी कम नहीं है मशाम-ए-जाँ मोअ'त्तर और दिल भी तिरी ख़ुशबू कहीं भी कम नहीं है अगरचे बे-यक़ीनी भी है थोड़ी उसे मुझ पर यक़ीं भी कम नहीं है तुम्हें है ख़ौफ़ एटम बम का इतना ये आह-ए-आतिशीं भी कम नहीं है चलो कह दो कि है मुझ से मोहब्बत नहीं है तू नहीं भी कम नहीं है सितम सह कर भी दिल रहता है 'राग़िब' कि वो ज़ालिम हसीं भी कम नहीं है