मुस्कराऊँगा गुनगुनाऊँगा मैं तिरा हौसला बढ़ाऊँगा रूठने की अदा निराली है जब तू रूठेगा, मैं मनाऊँगा क़ुर्बतों के चराग़ गुल कर के फ़ासलों के दिए जलाऊँगा जुगनुओं सा लिबास पहनूँगा तेरी आँखों में झिलमिलाऊँगा मेहरबाँ होगा जब वो जान-ए-'कँवल' उस की गुस्ताख़ियाँ गिनाऊँगा