वजूद-ए-बर्क़ ज़रूरी है गुलिस्ताँ के लिए पयाम लाती है ता'मीर आशियाँ के लिए अज़ल से ता-ब-क़यामत सुकूँ नहीं मिलता मिरे नसीब की गर्दिश है आसमाँ के लिए ये और बात है फूलों का तंग दामन है बहारें फिरती हैं बेताब गुलिस्ताँ के लिए न पूछ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार हम-नशीं मुझ से कलेजा चाहिए पत्थर का राज़दाँ के लिए मिरा और उन का तअ'ल्लुक़ है इस तरह जैसे ज़बाँ दहन के लिए है दहन ज़बाँ के लिए मिरी जबीं से तिरा आस्ताँ न छूटेगा कि ये बनी है तिरे संग-ए-आस्ताँ के लिए ग़ज़ब हुआ उन्हीं तिनकों पे गिर पड़ी बिजली जिन्हें सँभाल के रक्खा था आशियाँ के लिए तिरी तलब में फिराता है मुझ को दश्त-ब-दश्त वो ज़ौक़-ओ-शौक़ जो रहबर है कारवाँ के लिए ख़ुदा के सामने जाना पड़ेगा ख़ाली हाथ कि 'शम्स' जम्अ' न कर पाए कुछ वहाँ के लिए