मुस्कुराएँ मुस्कुराएँ मुस्कुराएँ मेरे साथ आप दुनिया को ये आईना दिखाएँ मेरे साथ लाख तन्हा हूँ मगर एहसास-ए-तन्हाई नहीं रात-दिन हैं जानी-पहचानी सदाएँ मेरे साथ जिन को रश्क आता है मेरी जुरअत-ए-पर्वाज़ पर बाज़ू-ए-हिम्मत में वो भी पर लगाएँ मेरे साथ जिन दु'आओं से मैं पहुँचा था हरीम-ए-नाज़ तक क्या कहूँ दर पर वो थीं किस की दु'आएँ मेरे साथ मुज़्तरिब हैं मुंतज़िर हैं किस क़दर बेचैन हैं ये हवाएँ ये घटाएँ ये फ़ज़ाएँ मेरे साथ हर नवा-ए-महफ़िल-ए-हस्ती बने फ़िरदौस-ए-गोश वो अगर मेरी ही लय में गुनगुनाएँ मेरे साथ मैं तो अब राह-ए-वफ़ा में हो चुका हूँ गामज़न आप की मर्ज़ी है आप आएँ न आएँ मेरे साथ ख़ुल्द में रहते हुए कितनी फ़राग़त थी 'उरूज अब ये दुनिया और दुनिया की बलाएँ मेरे साथ