न दिया उस कूँ या दिया क़ासिद सच बता नामा क्या किया क़ासिद न फिरा आह कोई ले के जवाब जो गया वाँ सो गुम हुआ क़ासिद आज आवेगा या न आवेगा मेरे घर में वो दिल-रुबा क़ासिद दिल को है सख़्त इंतिज़ार-ए-जवाब कह शिताबी से क्या कहा क़ासिद कूचा-ए-यार में मिरे ज़िन्हार जाइयो मत बरहना-पा क़ासिद ख़ार-ए-मिज़्गान-ए-कुश्तगान-ए-वफ़ा वाँ हैं उफ़्तादा जा-ब-जा क़ासिद नामा-ए-शौक़ को मिरे ले कर यार के पास जब गया क़ासिद मोहर को ख़त की देख कहने लगा कौन 'बेदार' है बता क़ासिद जिस ने भेजा है तेरे हाथ ये ख़त मैं नहीं उस से आश्ना क़ासिद