न गुल-ए-नग़्मा हूँ न पर्दा-ए-साज़ मैं हूँ अपनी शिकस्त की आवाज़ तू और आराइश-ए-ख़म-ए-काकुल मैं और अंदेशा-हा-ए-दूर-दराज़ लाफ़-ए-तमकीं फ़रेब-ए-सादा-दिली हम हैं और राज़-हा-ए-सीना-गुदाज़ हूँ गिरफ़्तार-ए-उल्फ़त-ए-सय्याद वर्ना बाक़ी है ताक़त-ए-परवाज़ वो भी दिन हो कि उस सितमगर से नाज़ खींचूँ बजाए हसरत-ए-नाज़ नहीं दिल में मिरे वो क़तरा-ए-ख़ूँ जिस से मिज़्गाँ हुई न हो गुल-बाज़ ऐ तिरा ग़म्ज़ा यक-क़लम-अंगेज़ ऐ तिरा ज़ुल्म सर-ब-सर अंदाज़ तू हुआ जल्वा-गर मुबारक हो रेज़िश-ए-सज्दा-ए-जबीन-ए-नियाज़ मुझ को पूछा तो कुछ ग़ज़ब न हुआ मैं ग़रीब और तू ग़रीब-नवाज़ 'असद'-उल्लाह ख़ाँ तमाम हुआ ऐ दरेग़ा वो रिंद-ए-शाहिद-बाज़